SEPTEMBER INTERNATIONAL HINDI ASSOCIATION'S NEWSLETTER
सितम्बर {{time_now|date:"2006"}}, अंक ३९ । प्रबंध सम्पादक: श्री आलोक मिश्र। सम्पादक: डॉ. शैल जैन
|
|
|
Human Excellence Depends on Culture. The Soul of Culture is Language
भाषा द्वारा संस्कृति का प्रतिपादन
|
|
|
अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति परिवार के सभी सदस्यों एवं संवाद के पाठकों का अभिनंदन !
गणेश चतुर्थी, 9/11 स्मरण दिवस, दिग्विजय दिवस (शिकागो में स्वामी विवेकानन्द का ऐतिहासिक भाषण (11 सितंबर 1893 को), हिंदी दिवस (75वीं वर्षगांठ) एवं ‘पत्नी प्रशंसा दिवस’ “wife appreciation Day” की हार्दिक शुभकामनायें प्रेषित करती हूँ।
‘हिंदी दिवस’ की ७५वीं वर्षगाँठ-- इस वर्ष 15 सितंबर का दिन विशेष रूप से यादगार था, क्योंकि इसने ‘हिंदी दिवस’ की 75वीं वर्षगांठ को चिन्हित किया। 15 सितंबर, 1949 को, हिंदी भाषा को भारत की संविधान सभा में केंद्र सरकार की आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया गया था। हम गर्व के साथ अपनी हिंदी भाषा का सम्मान करते हैं और उसकी सराहना करते हैं। हिंदी हमारी भाषाई धरोहर और सांस्कृतिक एकता का गौरव है। अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति की सभी शाखाओं और कुछ आउटरीच राज्यों ने इस विशेष दिन को अपने स्थानीय भारतीय समुदाय और विभिन्न सामुदायिक क्षेत्रों में आयोजित किया। ह्यूस्टन, न्यू जर्सी, टेनेसी और इंडियाना के कार्यक्रमों की रिपोर्ट इस माह के संवाद में संलग्न है । बाक़ी कार्यक्रमों की रिपोर्ट जल्द ही आएगी। मैं सभी शाखाओं और आउटरीच राज्यों के आयोजकों और उनकी कार्यकारिणी समिति को तहे दिल से धन्यवाद और बधाई देती हूँ। आप सबों ने कार्यक्रम को सफल बनाने और अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने और दृश्यमान करने में अपना योगदान किया है । सबों को ‘हिंदी दिवस’ की हार्दिक शुभकामनाएँ!
अ.हि.स की सदस्यता -- कोई भी संस्था के विकास के लिये सदस्यता बढ़ाना बहुत ही आवश्यक है। सदस्यता योजना का विकास हर शाखा में होना ज़रूरी है। नये सदस्य अपने साथ नये विचार और तरीक़े लाते हैं जो किसी भी संस्था के विकास के लिये बहुत ही आवश्यक है। नए सदस्यों को खोजने के लिए, शाखा अपनी खोज पर ध्यान केंद्रित करें, आस पास के लोगों का विश्लेषण कर खोजें, वैसे सदस्य जो हमारी समिति के उद्देश्यों पर विश्वास रखते हैं और ज़िंदगी में उसे करना चाहते हैं। सभी नए सदस्यों को तुरंत कार्य और भूमिकाएँ सौंपी जाना भी बहुत ज़रूरी है ताकि नये सदस्यों को मानसिक संतोष मिले और अपने उद्देश्य पूर्ति को सफल होता देख ख़ुशी भी। अपने यहाँ होने वाले विभिन्न भारतीय और स्थानीय सामूहिक कार्यक्रमों में कई शाखाएँ अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति के लिए टेबल लगा रही हैं । यहाँ पर समिति के सदस्य एवं स्वयंसेवक रहते हैं ।यहाँ समिति के उद्देश्यों, उनके द्वारा किए गए कार्यक्रमों के साथ-साथ ‘सदस्यता अभियान’ को भी शामिल किया जा रहा है ।ये कोशिशें समिति से नये लोगों को जोड़ती हैं । सभी शाखाओं से अनुरोध है कि वे इस तरह का प्रयास करें और हमें ख़बरों से अवगत भी करायें।
समिति की वेबसाइट-- अभी समिति की वेबसाइट को विकसित करने की दिशा में काम हो रहा है। ताकि यह हमारे सदस्यों और हिंदी भाषा और भारतीय संस्कृति में रुचि रखने वाले अन्य लोगों के लिए आसानी से उपलब्ध हो सके। इस काम के बीच हम कोशिश कर रहें हैं कि हमारी वेबसाइट पूरी सक्रिय रहे। आपको यदि इस बीच कोई दिक़्कत हो तो कृपया हमसे संपर्क करें, हम आपकी सहायता करने की पूरी कोशिश करेंगें।
समिति की त्रैमासिक पत्रिका ’विश्वा’ का अक्टूबर 2024 अंक प्रकाशित हो गया है और शीघ्र ही ऑन लाइन या आपके हाथों में होगा । इसके लिए मैं प्रबंध संपादक आलोक मिश्र, संपादक रमेश जोशी और उनकी टीम, मुद्रक और प्रस्तोता अनुज्ञा बुक्स को धन्यवाद देती हूँ ।
समिति के कोई विशेष कार्य के लिए यदि आप अपनी सेवा अर्पित करना चाहते हैं तो निःसंकोच हमें बताने का कष्ट करें। आपके विचारों और सुझावों का हमेशा स्वागत है।
धन्यवाद
शैल जैन
डॉ. शैल जैन
राष्ट्रीय अध्यक्ष, अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति २०२४-२५
ईमेल: president@hindi.org
shailj53@hotmail.com
सम्पर्क: 330-421-7528
***
|
|
|
|
|
अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति – हिंदी सीखें
|
|
|
अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति-- राजभाषा हिंदी के 75 वर्ष पूरे होने का उत्सव
हिंदी दिवस 2024
द्वारा: तरुण सुरती,अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति के ट्रस्टी चेअरमैन
|
|
|
राजभाषा हिंदी के 75 वर्ष पूरे होने का उत्सव 2024
हिंदी भाषा के भारत की राजभाषा बनने के 75 वर्ष पूरे होने के ऐतिहासिक अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति ने अपनी विभिन्न शाखाओं और सहयोगी संस्थाओं के साथ मिलकर शनिवार, 14 सितंबर, 2024 को ‘हिंदी दिवस’ को हीरक जयंती के रूप में विश्वभर में बड़े धूमधाम से मनाया। इस अवसर पर कई महत्वपूर्ण आयोजन हुए। यह आयोजन न केवल हिंदी भाषा की महत्ता को दर्शाते हैं, बल्कि इसे विश्व भर में फैलाने और संरक्षित करने के प्रयासों को भी प्रोत्साहित करते हैं। समिति की विभिन्न शाखाओं द्वारा हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिसमें हिंदी कविताओं का पाठ, कहानी सुनाना, और कला प्रतियोगिताएं आदि शामिल थीं। इस वर्ष के उत्सव में युवाओं की भागीदारी पर जोर दिया गया और सहयोगी संस्थाओं को शामिल किया गया ताकि भाषा के प्रति सम्मान, जन संवाद, और कृतज्ञता बढ़े और राजभाषा के जश्न को विशेष समृद्ध बनाया जा सके।
हिन्दी, भारतीय सभ्यता और संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है। हिंदी सिर्फ एक भाषा नहीं बल्कि भारत के कई समुदायों, क्षेत्रों और विभिन्न हिस्सों को एक-दूसरे से जोड़ने वाली एक कड़ी है। इस भाषा ने अपनी सरलता और सुंदरता से आज विश्व के कोने-कोने में निवास करने वाले भारतीयों को एक साथ जोड़ कर रखा है।
हिंदी दिवस 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा लिए गए ऐतिहासिक निर्णय की याद दिलाता है, जब संविधान की तैयारी के दौरान भारत की आधिकारिक भाषाओं के बारे में एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ था। इसे मुंशी-आय्यंगर फॉर्मूला के नाम से जाना जाता है। यह समझौता संविधान सभा में दो पक्षों के बीच तीन वर्षों की चर्चाओं के बाद हुआ, जिसने अंततः हिंदी को, जो देवनागरी लिपि में है, भारतीय संघ सरकार की ‘आधिकारिक भाषा’ के रूप में मान्यता दी। यह निर्णय भारत के संविधान के अनुच्छेद 343 से 351 का आधार बना, जो 26 जनवरी 1950 से लागू हुआ। तत्पश्चात राजभाषा विभाग ने 1975 में अपनी स्थापना के बाद से आधिकारिक मामलों में हिंदी के उपयोग को बढ़ावा देने की भूमिका निभाई।
हिंदी दिवस एक प्रतीक है जो हमारी प्रिय भाषा के महत्व और मूल्य को दर्शाता है। अध्यक्षा पूजा श्रीवास्तव, उपाध्यक्षा सीमा वर्मा, महासचिव सचिन गर्ग और समर्पित स्वयंसेवी टीम के नेतृत्व में, अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति की टेन्निसी शाखा ने फ्रैंकलिन के क्रीकसाइड एलीमेंटरी स्कूल में एक भव्य उत्सव का आयोजन किया। यह कार्यक्रम सुबह 11:00 बजे से 3:30 बजे तक चला, और इसने युवा सशक्तिकरण पर ध्यान केंद्रित किया, जिसमें 2 से 15 वर्ष के 82 प्रतिभागियों द्वारा शानदार प्रस्तुतियाँ दी गईं। दर्शकों में माता-पिता, दादा-दादी और दोस्तों की भरपूर भीड़ ने प्रतिभाशाली युवा कलाकारों का तालियाँ बजा कर उत्साह बढ़ाया।
इस अवसर पर हमारे सम्मानित मुख्य अतिथि, प्रोफेसर ज्योत्सना पार्चुरी, कौमुदी सिंह, सिल्वर स्पॉन्सर वासुदेवन अय्यप्पन और अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति के बोर्ड के अध्यक्ष, तरुण सुरती के साथ मिलकर दीप प्रज्वलित किया।
|
|
|
|
|
|
प्रोफेसर ज्योत्सना पार्चुरी, प्रतिष्ठित मोटूरी सत्यनारायणन् की बेटी हैं जो इस कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि थीं। मोटूरी सत्यनारायणन् हिंदी के प्रमुख समर्थक और पद्म श्री तथा पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित हैं । उनके पिता संविधान सभा के सदस्य के रूप में हिंदी को भारतीय सरकार की आधिकारिक भाषा के रूप में मसौदा तैयार करने और बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। स्वतंत्रता आंदोलन में उनके महत्वपूर्ण योगदान हैं, जिसमें कई प्रकाशन शामिल हैं। मोटूरी सत्यनारायणन् के नाम पर भारत सरकार द्वारा प्रवासी भारतीयों को प्रतिवर्ष राष्ट्रपति के हाथों एक पुरस्कार भी दिया जाता है। हिंदी दिवस के इस उत्सव में प्रोफेसर ज्योत्सना पार्चुरी की उपस्थिति ने समारोह को गहरा अर्थ दिया।
|
|
|
|
|
हमें कौमुदी सिंह को भी सम्मानित करने का अवसर मिला, जो हिंदी भाषा और संस्कृति की एक समर्पित समर्थक हैं, और जिन्होंने नैशविल में पूर्व हिंदी शिक्षक के रूप में समुदाय में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
***
|
|
|
|
|
अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति -- टेनेसी शाखा
हिंदी दिवस की 75वीं वर्षगांठ समारोह
सितम्बर 14. 2024
द्वारा : कोमल जोशी
|
|
|
हिंदी भाषा के देशव्यापी प्रसार और स्वीकार्यता को देखते हुए 14 सितंबर, 1949 को इसे संघ की राजभाषा (देवनागरी लिपि में लिखित) का दर्जा दिया गया था । इस दिवस की स्मृति में प्रतिवर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है|
इसी श्रृंखला में हर वर्ष की तरह हिंदी दिवस की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति टेनेसी चैप्टर ने शनिवार 14 सितम्बर को एक भव्य समारोह का आयोजन किया । समारोह का आयोजन क्रिक्साइड एलिमेंटरी स्कूल में किया गया । काफ़ी खुला और भव्य प्रांगण होने से वहाँ मौजूद लगभग 150 दर्शकों एवं प्रतिभागियों ने बहुत रोमांच का अनुभव किया । समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित श्रीमती ज्योत्सना परचूरी जी तथा श्रीमती कौमुदी सिंह जी , दोनों ही यहाँ अमेरिका में हिन्दी के उल्लेखनीय योगदान के लिए काफ़ी प्रख्यात हैं।
इस समारोह के अन्तर्गत विविध प्रकार के कार्यक्रम रखे थे जिनमे अभिव्यक्ति, परंपरागत लोक नृत्य , बच्चों द्वारा संस्कृत में श्लोक अनुवाचन, सृजन , हिन्दी की मात्राओं पर बच्चों द्वारा किया गया नाट्य, कुछ भजन और देशभक्ति पर गीत तथा नन्हे नन्हे बच्चों द्वारा किया गया फैंसी ड्रेस शामिल था, जिसे ना सिर्फ़ ख़ुद बच्चों ने बल्कि अभिभावकों ने भी हर्षोल्लास और आनंदित होके देखा और खूब सराहा । इस बार हिंदी दिवस का आयोजन और भी खास रहा क्योंकि इसमें इस वर्ष कुछ नये कार्यक्रम का समाविष्ट किया गया जैसे अभिव्यक्ति और सृजन । इस तरह के कार्यक्रम भाषा के महत्व को समझने में मदद करते हैं और इसे जनमानस में और लोकप्रिय बनाते हैं| यह एक ऐसा मंच है जहां लोग हिंदी भाषा के साथ-साथ भारतीय संस्कृति की विविधता का आनंद ले सकते हैं।
इस आयोजन की सफलता का श्रेय हमारे वरिष्ठ सदस्यों सहित हमारी समिति के अन्य सभी सदस्यों को जाता है जिन्होंने इसे समर्पित भाव से आयोजित किया और हिंदी को आधुनिक युग में प्रासंगिक बनाए रखने के लिए काम किया। इससे यह सुनिश्चित होता है कि आने वाली पीढ़ियाँ भी हिंदी भाषा की महत्ता को समझें और इसे अपनी सांस्कृतिक पहचान के रूप में आगे बढ़ाएं। अंत में, हिंदी दिवस का सफल आयोजन हमें यह याद दिलाता है कि भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि संस्कृति, परंपरा और हमारी अस्मिता का अभिन्न हिस्सा है। आयोजन को सफल बनाने के लिए हमारे अतिथिगणों के साथ हमारे गौरवशाली प्रायोजकों, दर्शकों और अभिभावकों का भी तहें दिल से धन्यवाद।
***
|
|
|
|
|
अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति -- न्यू जेर्सी शाखा
हिंदी दिवस की 75वीं वर्षगांठ समारोह
सितम्बर 14. 2024
द्वारा: बबीता श्रीवास्तव, न्यू जेर्सी शाखा अध्यक्ष
|
|
|
बबीता श्रीवास्तव अंतरराष्ट्रीय हिंदी समिति की न्यू जर्सी शाखा की अध्यक्ष ने हिंदी दिवस के अवसर पर किये गये दो प्रयासों को शेयर किया ।
1) विश्वविद्यालय William Paterson University जहां बबीता जी अध्यापक हैं, उन्होंने अपने क्लास के डाइवर्स ग्रप ( Diversity group) के बच्चों को हिंदी भाषा के बारे में जानकारी दी और इसका महत्व भी समझाया । ये ग्रुप भारतीय संस्कृति से जुड़े दूसरे सांस्कृतिक कार्यक्रम जैसे दिवाली , होली में भी हिस्सा लेते हैं ।
|
|
|
|
|
2) बबीता श्रीवास्तव के घर में भी छोटी सी हिंदी गोष्ठी का आयोजन किया जिसमें हमारे स्थानीय मित्रों ने हिस्सा लिया । हमारी गोष्ठी का विषय था कि अपने बच्चों को हिंदी में भी बातचीत करने के लिए कैसे प्रेरित करें ।
हमारी गोष्ठी काफी सफल रही।
|
|
|
|
|
अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति -- इंडियाना शाखा
हिंदी दिवस की 75वीं वर्षगांठ समारोह
सितम्बर 14. 2024
द्वारा:आदित्य शाही एवं डॉ. राकेश कुमार
|
|
|
अंतरराष्ट्रीय हिन्दी समिति-इंडियाना का भव्य उत्सव
अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी समिति-इंडियाना ने 14 सितंबर, 2024 को हिन्दी दिवस की 75वीं वर्षगांठ पूरे जोश और उमंग के साथ भव्य रूप से मनाई। इस महत्वपूर्ण अवसर ने भारत की समृद्ध भाषाई और सांस्कृतिक विरासत का सम्मान करने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर चिह्नित किया। इस हीरक जयंती वर्ष का समारोह एक शानदार आयोजन था, जिसमें भाषा प्रेमी, विद्वान और प्रतिष्ठित व्यक्ति एकत्र हुए। उत्सव में सांस्कृतिक प्रस्तुतियां शामिल थीं, जो पारंपरिक संगीत, कत्थक नृत्य और हिन्दी नाटक के माध्यम से हिन्दी की विविधता और सुंदरता को प्रदर्शित करती थीं। इसके साथ ही कविता पाठ और हिन्दी भाषा को संरक्षित और बढ़ावा देने के महत्व पर चर्चा भी हुई।
प्रतिभागियों ने समकालीन समाज में हिन्दी के महत्व के बारे में जीवंत संवाद किए, साथ ही इसकी ऐतिहासिक जड़ों का भी उत्सव मनाया। यह कार्यक्रम केवल एक उत्सव नहीं था, बल्कि यह इस बात का भी स्मरण था कि भाषा लोगों को एकजुट करने और संस्कृति को संरक्षित करने में क्या भूमिका निभाती है।
प्रेरक गतिविधियों और भाषा के प्रति प्रेम की हार्दिक अभिव्यक्ति के साथ, हिन्दी दिवस के उत्सव ने हिन्दी और इसके साहित्यिक योगदान के प्रति प्रशंसा को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। यह भारतीय विरासत के इस महत्वपूर्ण पहलू को भावी पीढ़ियों के लिए जीवित रखने के लिए समुदाय के समर्पण का एक सुंदर प्रतिबिंब था।
इंडियाना शाखा के इस भव्य आयोजन का संचालन युवा समिति की अध्यक्षा आरिनी पारीक और सहअध्यक्षा अन्विता राजपूत ने बेहद कुशलता और आत्मविश्वास से किया। कार्यक्रम की शुरुआत बेहद गरिमामयी रही, जिसमें सबसे पहले अमेरिका और भारत के राष्ट्रीय गान का गायन हुआ। इसके बाद इंडियाना शाखा की अध्यक्षा श्रीमती विद्या सिंह ने सभी दर्शकों और गणमान्य अतिथियों का हार्दिक अभिनंदन किया। उन्होंने हिन्दी भाषा के महत्व और इसके प्रसार के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। उपाध्यक्ष आदित्य कुमार शाही ने सभा को अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी समिति की गतिविधियों और उद्देश्यों के बारे में बताया। उन्होंने यह भी समझाया कि यह संस्था किस प्रकार से हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार और भारतीय संस्कृति के संवर्धन में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।
मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम में कार्मेल मेयर सु फिन्कम, सिटी काउंसिल की सदस्य डॉ. अनीता जोशी, सिटी काउंसिल शैनन मिन्नार और अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे। श्रीमती विद्या सिंह ने इन सभी अतिथियों को गुलदस्ता भेंट कर उनका सम्मान किया और हिन्दी के प्रति उनके सहयोग और समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर सु फिन्कम ने हिन्दी भाषा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए इंडियाना में 21 वर्षों से बच्चों को हिन्दी सिखाने वाले शिक्षकों डॉ. महेश गुप्ता और अनीता गुप्ता को "हिन्दी शिक्षा सृजन सम्मान" से सम्मानित किया।
इंडियाना के माननीय गवर्नर एरिक जे. होलकोम्ब ने गर्व से 14-21 सितंबर, 2024 को भारत की राजभाषा हिंदी जागरूकता सप्ताह के रूप में घोषित किया। इस उद्घोषणा के मुख्य बिंदुओं में शामिल है कि अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी समिति, हिन्दी और गैर-हिन्दी बोलने वाले लोगों के बीच मित्रता और समझ को बढ़ावा देना चाहता है; और निकट भविष्य में हिन्दी को अमेरिका के स्कूलों में एक भाषा के रूप में मान्यता मिले। गवर्नर की ओर से श्री राजू चिंथला ने श्रीमती विद्या सिंह को उद्घोषणा प्रस्तुत की।
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण प्रोफेसर मिथिलेश मिश्रा का व्याख्यान रहा। उन्होंने हिन्दी भाषा के अर्थतंत्र पर गहन और विश्लेषणात्मक चर्चा की। अपने व्याख्यान में उन्होंने बताया कि भारत के आर्थिक विकास में हिन्दी भाषी क्षेत्रों का कितना महत्वपूर्ण योगदान है। आंकड़ों और तथ्यों के आधार पर उन्होंने यह सिद्ध किया कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का दो-तिहाई हिस्सा उन क्षेत्रों से आता है, जहां हिन्दी प्रमुख भाषा के रूप में बोली जाती है। उनके इस शोधपूर्ण और प्रभावशाली व्याख्यान ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके प्रस्तुतीकरण के दौरान सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा और हिन्दी भाषा के महत्व पर नई दृष्टि मिली।
हिन्दी दिवस के इस विशेष अवसर पर शिकागो के मंडी थिएटर ने 'स्ववंतः सुखाय' नामक एक लघु नाटक का प्रदर्शन किया, जिसे दर्शकों ने भरपूर सराहा। यह नाटक "करो हिंदी का मान, तभी बढ़ेगी देश की शान" जैसे प्रोत्साहक नारे से प्रारंभ हुआ, जिसने दर्शकों को हिन्दी भाषा के महत्व के प्रति जागरूक किया। नाटक की संरचना में विभिन्न दृश्यों के माध्यम से 'हिंदी दिवस' के दिन कुछ महान हस्तियों के साक्षात्कार प्रस्तुत किए गये । इन हस्तियों में प्रसिद्ध साहित्यकार, एक संस्था की अध्यक्ष संस्थापिका, और इस संस्था से शिक्षा प्राप्त कर चुके विद्वान शामिल थे । यह साक्षात्कार न केवल ज्ञानवर्धक थे , बल्कि इनका प्रस्तुतिकरण हास्य और चुटीले अंदाज में किया गया है, जिसने दर्शकों को हंसाते हुए सोचने पर भी मजबूर किया । नाटक में साहित्यकारों की विचारधाराओं को मजेदार और रोचक ढंग से पेश किया गया है। दर्शकों को यह अनुभव हुआ कि हिन्दी भाषा सिर्फ एक संचार का माध्यम नहीं, बल्कि संस्कृति और पहचान की प्रतीक भी है। अंत में, नाटक एक ज्वलंत सवाल छोड़ता है, जो दर्शकों को गहराई से सोचने के लिए प्रेरित करता है: "क्या हम अपनी भाषा और संस्कृति को महत्व देंगे, या उन्हें समय की धूल में खो देंगे?" इस तरह, नाटक ने न केवल मनोरंजन किया, बल्कि दर्शकों को एक महत्वपूर्ण सामाजिक संदेश भी दिया। मंडी थिएटर के इस प्रयास ने हिन्दी भाषा को न केवल मंच पर, बल्कि दिलों में भी जीवित रखा, और इस विशेष दिन को एक यादगार अनुभव बना दिया।
इसके बाद कार्यक्रम का सांस्कृतिक भाग शुरू हुआ, जहां नूपुर कत्थक अकादमी के 5 से 14 वर्ष की आयु के छात्रों ने अपने अद्भुत नृत्य कौशल से दर्शकों का दिल जीत लिया। इन बच्चों ने तकनीकी रूप से परिपूर्ण नृत्य प्रस्तुतियों की एक श्रृंखला प्रस्तुत की, जो प्रतिष्ठित गुरुओं की काव्य रचनाओं से समृद्ध थीं। इनमें महान गोपी कृष्ण जी, पूजनीय बिरजू महाराज जी और प्रेरणादायक डॉ. पाली चंद्रा जी के योगदान विशेष रूप से उल्लेखनीय रहे। मौशमी मुखोपाध्याय के निर्देशन में बच्चों ने अपनी प्रस्तुतियों में समर्पण और नृत्य की कला को खूबसूरती से दर्शाया। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रहा "सूफियाना कथक"। इस अनूठी प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया और कार्यक्रम को एक विशेष ऊंचाई दी।। इस नृत्य ने भारतीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य की समृद्ध धरोहर को जीवंत कर दिया। दर्शकों ने इस प्रस्तुति का भरपूर आनंद लिया और कलाकारों की सराहना की। इसके अलावा,सोनल (सेहर) कुलकर्णी ने अपनी कविताओं और ग़ज़लों को साझा किया। उन्होंने अपनी कविता 'कभी ऐसा भी हो' से शुरुआत की, जिसमें उन्होंने ज़िंदगी के छोटे-छोटे पलों में छिपी अनकही बातों का अनुभव करने की इच्छाएं व्यक्त कीं। इसके बाद उन्होंने अपनी ग़ज़ल 'गुनगुनाती है गीत शाम से सेहर' प्रस्तुत की, जिसमें एक नॉस्टैल्जिक अहसास था। इस ग़ज़ल को उन्होंने कुछ पढ़कर और कुछ गाकर एक अनोखे अंदाज़ में पेश किया। सोनल खुद एक गीतकार, संगीतकार और गायिका हैं।
इसके बाद बच्चों ने हिन्दी कविता प्रस्तुत किए, जिनमें उनकी मासूमियत और हिन्दी के प्रति प्रेम साफ झलक रहा था। इन बच्चों ने अपनी प्रस्तुतियों से सभी का मन मोह लिया। इस समारोह में एक कला प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया था, जिसमें विभिन्न आयु वर्ग के बच्चों ने भाग लिया। अनन्या पाटिल को प्रथम और अश्लेषा प्रशांत जोशी एवं सान्वी चेल्लापल्ला को द्वितीय तथा तृतीय पुरस्कार से सम्मानित क्या गया । इस कला प्रतियोगिता में भाग लेने वाले बच्चों की रचनात्मकता और उत्साह को देखते हुए सभी ने उनकी भूरी-भूरी प्रशंसा की।
कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन तदपरांत अपराह्न भोजन के साथ हुआ, जिसमें आयोजकों ने सभी प्रतिभागियों, दर्शकों और अतिथियों को उनकी उपस्थिति और योगदान के लिए आभार व्यक्त किया।
***
|
|
|
|
|
अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति -- ह्यूस्टन शाखा
महावाणिज्यदूत के साथ
75वां हिंदी दिवस समारोह, सितंबर 13, 2024
द्वारा : स्वपन धैर्यवान, वर्तमान ट्रस्टी, पूर्व अध्यक्ष ह्यूस्टन शाखा
|
|
|
अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति की ह्यूस्टन शाखा ने महावाणिज्यदूत के साथ मिलकर महावाणिज्यदूत कार्यालय में 75वां हिंदी दिवस समारोह सितम्बर 13, 2024 को आयोजित किया और कार्यक्रम बेहद सफल रहा।
75 मिनट की हिंदी काव्य, गीत, विचार और गद्य का कार्यक्रम था। मुंशी प्रेमचंद या साहिर लुधियानवी के बारे में बात करने का विषय दिया गया था। वक्ताओं की कितनी उत्साहवर्धक और ऊर्जावान प्रस्तुतियाँ थीं। कुणाल व्यास और सरिता त्रिपाठी ने मुंशी को बहुत गहराई और कुशलता से पेश किया। संजय सोहोनी और अबीज़र तैयबजी ने साहिर को बहुत ही शानदार और संगीतमय तरीके से प्रस्तुत किया। प्रमोद बेंगानी ने सुझाए गए विषय "अमेरिका में हिंदी क्यों?" पर विचार प्रस्तुत किए। बहुत अच्छी तरह से कवर किया गया और समय के लिए उपयुक्त भी रहा। साहिर के उल्लेखनीय गीतों के लिए मनीषा गांधी एक आदर्श संगीत साथी थीं।
भारत के विभिन्न राज्यों के लोगों का प्रस्तुति और दर्शक में शामिल होना हमारी एकता का प्रतीक है। 5 अलग-अलग प्रतिभागियों को हिंदी दिवस मनाने के लिए एक साथ आना ये वास्तव में एक अनोखी शानदार शाम को बनाने में सफल रही ।
हमारे पास कुणाल व्यास एक गुजराती और बीएपीएस मंदिर के स्वयंसेवक, प्रमोद बेंगानी एक राजस्थानी (पश्चिम बंगाल में पैदा हुए), अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति की ह्यूस्टन शाखा के अध्यक्ष संजय सोहानी एक महाराष्ट्रियन, बोहरा समुदाय से अबीज़र तैयबजी और यूपी से सरिता त्रिपाठी प्रतिभागियों के रूप में थे। भले ही सभी की मातृभाषा अलग-अलग हो, लेकिन जब संचार की बात आती है तो "हिंदी" सभी के लिए सामान्य कड़ी है।
हमारे हिंदी दिवस को मनाने के लिए सही प्रतिभागियों का चयन करने के सभी प्रयास हमारे सक्रिय स्वयंसेवकों, वर्तमान ट्रस्टी स्वपन धैर्यवान एवं शाखा के अध्यक्ष संजय सोहानी को जाते हैं।
सीजीआई (Consulate General of India, Houston) अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति का आभारी था और उसने हमें अधिक स्थान और कृतज्ञता ज़ाहिर की। वे चाहते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति उन पारंपरिक 3 आयोजनों में और ज़्यादा शामिल हों जो हम उनके साथ करते हैं। भविष्य में अधिक कार्यक्रमों की जानकारी साझा की जाएगी। बने रहें साथ और अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति ध्वज को ऊंचा फहराते रहें।
Embassy News
Proud to celebrate the 75th #HindiDay with our vibrant community in Houston!
In collaboration with the International Hindi Association, we promote the richness of Hindi language and culture. Let's continue to preserve and celebrate our linguistic heritage! #HindiDiwas #IndiaInUSA #CGIHouston
India in USA (Embassy of India, Washington DC)
Ministry of External Affairs, Government of India
Diaspora India Connect
***
|
|
|
|
|
'इंडियन हेरिटेज कल्चरल कैंप' -- उत्तर पूर्व ओहायो में
ग्रीष्मकालीन शिविर
जुलाई 8 से 26 , 2024
अ.हि.स. उत्तर पूर्व ओहायो शाखा की भागीदारी
द्वारा :अलका खंडेलवाल
|
|
|
|
|
'इंडियन हेरिटेज कल्चरल कैंप'’ (ग्रीष्मकालीन हिंदी शिविर) भारतीय समुदाय के बीच एक प्रचलित शिविर है। हर साल यह शिविर, श्रीमती किरण खेतान (शिविर की डायरेक्टर) जो अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति की उत्तर पूर्व ओहायो शाखा की पूर्व अध्यक्षा भी हैं, के द्वारा आयोजित किया जाता है। यह प्रोग्राम एक्रन या उसके पास के शहरों में किया जाता है। इस वर्ष यह शिविर चिन्मय मिशन के कैंपस में 8 जुलाई से 26 जुलाई तक हुआ। अ.हि.स. उत्तर पूर्व ओहायो शाखा का इस कार्यक्रम में सहयोग था। शिविर में 8 से 14 वर्ष तक के 46 बच्चों ने नामांकन किया था। कैंप सुबह 9:00 बजे से 3:00 बजे तक होता था।
शिविर का मुख्य उद्देश्य बच्चों को हिंदी लिखने, पढ़ने, और बोलचाल में प्रयोग के साथ भारतीय खाना, खेल, नाच, गाना, योग आदि का ज्ञान देना भी होता है। ये सारी चीजें बहुत ही सृजनात्मक तरीके से सिखाई जाती हैं। अक्सर बच्चों को कहानियों, कविताओं, और तरह-तरह की गतिविधियों और वास्तविक जीवन से जुड़े क्रिया कलापों द्वारा भाषा सिखाई जाती है, जिसे बच्चे बहुत पसंद करते हैं। भाषा सिखाने के लिए और अन्यथा भी 80%-90% हिंदी भाषा का ही प्रयोग किया जाता है, ताकि बच्चे उसमें पूरी तरह डूब उसे आत्मसात कर सकें।
इस बार शिविर में उम्र और बच्चों की भाषा प्रवीणता के आधार पर तीन कक्षायें थीं। एक स्तर नौसीखियों (Novice) का था और दूसरा मध्ययी (Intermediate) था। भाषा सिखाने का ढंग दोनों स्तरों में काफी भिन्न था। नाच, गाना, योग, खेल आदि तो सभी बच्चों को उम्र के अनुसार सभी स्तरों पर कराया जाता था, पर नौसीखियों को (Novice) जो आठ साल तक के थे उन्हें कक्षा में हिंदी इशारों, कविताओं, चित्रों, वर्कशीट, गतिविधियाँ आदि के माध्यम से सिखाई जाती थी। उन्हें खेलों के माध्यम से अपना परिचय हिंदी में देना और परिवार के सदस्यों के नाम हिंदी में सिखाए गए। उन्होंने पिता, मां, भाई, बहन के प्रथम अक्षर भी लिखने सीखे। गीतों के माध्यम से रंगों और जंगली जानवरों के बारे में बताया गया। बच्चों ने होली, रक्षाबंधन जैसे त्योहारों के बारे में भी जाना। इस तरह इतनी कम उम्र के बच्चों में रोचक तरह से हिंदी प्रेम जागृत किया गया।
दूसरे नौसीखिए 8-14 वर्ष तक के थे। ये बच्चे बड़े थे उन्हें बोलने के साथ लिखने और पढ़ने पर भी जोर दिया गया। दैनिक हिंदी कक्षा की शुरुआत छात्रों के साथ दिन के एजेंडे पर चर्चा के साथ शुरू होती थी। फिर उनके साथ शब्दावली और वाक्य संरचनाओं पर विचार किया जाता था। सामग्री को आत्मसात करने के लिए इशारों, रोल प्ले, कविताओं, चित्रों, विभिन्न गतिविधियाँ, वर्कशीट आदि का सहारा लिया जाता था। फिर अंत में आमतौर पर, वे सभी सीखी गई शब्दावली पर आधारित एक छोटा पाठ पढ़ते थे। साक्षरता के लिए, बच्चे प्रतिदिन पूरी वर्णमाला पढ़ते थे। विद्यार्थियों ने प्रतिदिन कुछ अक्षरों को ठीक से लिखना, पढ़ना और बोलना भी सीखा। इस दैनिक अभ्यास की वजह से शिविर के अंत तक, छात्र कई अक्षरों को पहचानने में सक्षम हो गए और किसी किताब में पाठ को पढ़ सकते थे। पुनरीक्षण उद्देश्य के लिए, निकास कार्ड (Exit slip) और प्रवेश पत्र (Entry card) का उपयोग किया जाता था, जिसमें घर जाने से पहले उन्हें उस दिन के विषय के बारे में 1-2 वाक्य बोलने होते थे। घर जाकर उन्हें उसी विषय पर और उसी दिन सीखे गए वाक्य संरचना पर अपने माता-पिता से हिंदी में बात करनी होती थी।
मध्य्यी स्तर के बच्चों को सिखाने के लिए अलग तरीकों का उपयोग किया गया। उन्हें थोड़ा हिंदी भाषा का ज्ञान था और उम्र में भी बड़े थे। उनके लिए पंचतंत्र की कहानियाँ, अकबर-बीरबल की कहानियाँ और भारतेंदु हरिश्चंद्र द्वारा लिखित ‘अंधेर नगरी चौपट राजा’ नाटक का इस्तेमाल किया गया। इन कहानियों के आधार से हम उन्हें भाषा के साथ भारतीय संस्कृति से भी अवगत करा पाए। मुख्य केंद्र होता था कि वे दिन के मुख्य विषय पर ज्यादा से ज्यादा एक दूसरे से बातचीत करें, विषय/कहानी पर सामूहिक गतिविधियाँ करें ताकि ज्यादा से ज्यादा भाषा का आदान प्रदान हो सके। सभी बच्चे कहानी के विश्लेषण में भाग लेते थे। उसी कहानी में थोड़ा फेर बदल कर अपनी नई कहानी बनाते थे, इस तरह उनकी भाषा में वृद्धि हुई। साक्षरता के लिए उन्हें भी रोज वर्णमाला का ज्ञान दिया जाता था और वे वर्कशीट्स और Book Creator app पर उसका उपयोग कर अपने असाइंमेंट कर पाते थे।
शिविर में एक दिन पूरा मेले के लिए समर्पित था। मेले में, बच्चों ने खूब मौज-मस्ती की: उन्होंने कागज की नाव, "फटफटिया" बनाना सीखा और क्ले से गणेश की मूर्ति बनाई। मेले में उनके लिए अनेक तरह के भारतीय खाने उपलब्ध थे। उन्हें भारतीय मुद्रा से परिचित कराया गया। कैफेटेरिया में, वे अपनी पसंद के खाने और अन्य चीजें खरीदने के लिए भारतीय रुपयों का इस्तेमाल कर पाए।
शिविर में ‘खेल दिवस’ भी रखा गया था। बच्चों को हूला हूप, रिंग टॉस, जंपिंग जैक जैसे विभिन्न खेल खेलने के लिए बाहर ले गए और अंदर उन्होंने चम्मच-अंगूर दौड़ खेली! उन्होंने म्यूजिकल चेयर, पोसाम्पा, स्टापू, ‘कोड़ा है जमाल भाई, पीछे देखे मार खाई’ आदि खेल भी खेले। बच्चों ने बहुत मस्ती की और सभी खेलों का भरपूर आनंद उठाया।
अंत में Recital का आयोजन किया गया जहाँ बच्चों ने बड़े उत्साह से भाग लिया। शिविर में सीखे अपने भाषा कौशल का प्रदर्शन नाटकों, गानों, नृत्यों और योग के माध्यम से अपने माता-पिता, दोस्तों और भारतीय समुदाय के सामने किया। कक्षा में किये गए सामूहिक, सहयोगात्मक, व्यक्तिगत और क्राफ्ट के कार्यों का प्रस्तुति करण भी किया गया। इतने कम समय में किये गए इन कार्यों को देख सभी हत-प्रभ थे।
आशा करती हूँ कि १२ वर्षों से आयोजित हो रहे इस शिविर की परम्परा को बनाए रखते हुए आगे भी इसी तरह शिविर का आयोजन युवा पीढ़ी में हिंदी के प्रति रुझान और प्रेम बनाए रखने में सक्षम होगा।
***
|
|
|
|
|
भारत स्वतंत्रता दिवस समारोह में
अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति- उत्तर पूर्व ओहायो शाखा की भागीदारी
इंडिया फेस्ट यूएसए, क्लीवलैंड, ओहायो, अगस्त 18 , 2024,
द्वारा :डॉ. सोमनाथ राय, सचिव, उत्तर पूर्व ओहायो शाखा
|
|
|
इंडिया फेस्ट यूएसए, क्लीवलैंड के साथ मिलकर अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति, उत्तरपूर्व ओहायो शाखा ने ७८वाँ भारतीय स्वतंत्रता दिवस-इंडिया डे परेड मनाया।
हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी इंडिया फेस्ट यूएसए 'India Fest USA' ने अगस्त १८, २०२४, रविवार को ब्रॉडव्यू हाईट्स, ओहायो ऐम्फ़ीथियेटर में भारतीय स्वतंत्रता दिवस समारोह के उपलक्ष्य में इंडिया डे परेड का आयोजन किया था।अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी समिति की उत्तरपूर्व ओहायो शाखा के सदस्यों ने इस समारोह में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। ध्वजारोहण के साथ साथ भारतीय एवम् अमरीकी राष्ट्रगान का गायन किया गया।मुख्य अतिथि के रूप में ब्रॉडव्यू हाईट्स के मेयर श्रीमान सैमुएल जे अलाई ने सभा को संभोदित किया।
अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति की ओर से डॉ सोमनाथ राय ने सभा को संभोदित किया एवम् भारतीय संस्कृति की प्रचार प्रसार में राजभाषा हिंदी का महत्व और अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति के द्वारा हिंदी के प्रचार प्रसार के लिये किये जा रहे कार्यक्रमों के बारे में लोगों को जानकारी प्रदान किया। बरसते मौसम के बीच सैकड़ों की संख्या में लोगों ने छाता लेकर समारोह में हिस्सा लिया। अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति की ओर से १४-१५ सदस्यों ने बहुत ही हर्ष और उल्लास के साथ इसमें सम्मिलित हुए।
***
|
|
|
|
|
अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति- उत्तर पूर्व ओहायो शाखा की भागीदारी
क्लीवलैंड कल्चरल गार्डेन्स फ़ेडरेशन द्वारा आयोजित
वन वर्ल्ड डे (One World Day) में
द्वारा :डॉ. सोमनाथ राय, सचिव, उत्तर पूर्व ओहायो शाखा
|
|
|
वन वर्ल्ड डे 2024 आयोजन ‘क्लीवलैंड कल्चरल गार्डेन्स फ़ेडरेशन ’ ने किया । अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति, उत्तर पूर्वी ओहायो शाखा ने इसमें भाग लिया । ‘क्लीवलैंड कल्चरल गार्डेन्स फ़ेडरेशन‘ 1946 से वन वर्ल्ड डे का आयोजन करता आ रहा है और इस कार्यक्रम के माध्यम से विभिन्न संस्कृतियों और समुदायों को एक मंच पर लाकर उनकी धरोहर और परंपराओं को प्रदर्शित करता है। क्लीवलैंड कल्चरल गार्डेन्स फ़ेडरेशन का उद्देश्य विभिन्न संस्कृतियों के बीच समझ, सम्मान और एकता को बढ़ावा देना है और वन वर्ल्ड डे इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
कार्यक्रम की शुरुआत सुबह 11 बजे हुई, जिसमें एक विशेष नागरिकता समारोह आयोजित किया गया। इस समारोह में लगभग 20 देशों से आए नए नागरिकों ने भाग लिया और उन्हें माननीय न्यायाधीश जे. फिलिप कैलाब्रीज द्वारा शपथ दिलाई गई।
कार्यक्रम का एक प्रमुख आकर्षण ‘परेड ऑफ नेशंस’ था, जो दिन के उत्सव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा। यह परेड विभिन्न संस्कृतियों और समुदायों की एक सुंदर झलक प्रस्तुत करती है।
परेड में 36 -50 देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए, जो अपने-अपने पारंपरिक परिधानों और राष्ट्रीय ध्वजों के साथ चलते हुए गर्व से अपने देश का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। परेड के दौरान, लोग रंग-बिरंगे परिधानों, पारंपरिक संगीत, और नृत्य के साथ अपनी सांस्कृतिक धरोहर का प्रदर्शन कर रहे थे। यह दृश्य न केवल मनमोहक था बल्कि सांस्कृतिक विविधता और एकता का प्रतीक भी था।
परेड में बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, सभी उम्र के लोग बड़े उत्साह के साथ शामिल हुए। दर्शक सड़कों के किनारे खड़े होकर परेड को देख रहे थे और हर देश के प्रतिनिधियों का स्वागत ताली बजाकर और हर्षध्वनि के साथ कर रहे थे। इस परेड ने यह संदेश दिया कि चाहे हम किसी भी देश या संस्कृति से आते हों, हम सब एक बड़े वैश्विक परिवार का हिस्सा हैं। यह एक ऐसा क्षण था जिसने सभी उपस्थित लोगों को विभिन्न संस्कृतियों की सुंदरता और विविधता का एहसास कराया और साथ ही एक दूसरे के प्रति सम्मान और अपनत्व की भावना को और मजबूत किया ।
परेड के अंत में सभी भारतीय इंडिया कल्चरल गार्डेन में गांधी जी की मूर्त्ति के पास एक जुट हुए एवम् भारतीय राष्ट्रगान का गायन किया। समारोह के अंत में सबने चाय, समोसा एवम् लड्डू का आनन्द लिया। अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति , उत्तर पूर्वी ओहायो शाखा की ओर से 10-12 सदस्यों ने बहुत ही सक्रियता के साथ इस कार्यक्रम में भाग लिया। यह एक ऐसा क्षण था जिसने सभी उपस्थित लोगों को विभिन्न संस्कृतियों की सुंदरता और विविधता का एहसास कराया और साथ ही एक दूसरे के प्रति सम्मान और अपनत्व की भावना को और मजबूत किया ।
***
|
|
|
|
|
|
|
पूजा गुप्ता मिर्ज़ापुर, उत्तर प्रदेश में रहती है| पूजा गुप्ता ने बी. ए. ग्रेजुएट की पढाई की है| इन्हें कहानी, लेख, संस्मरण, कविता, व्यंग्य लिखने का सोख है| २००० से अधिक लेख एवं कहानियाँ प्रकाशित हुई है|
|
|
|
|
|
मां-बेटे
रविवार का दिन आराम का दिन। आम लोगों के समान डॉक्टर भी सुबह के समय अपने दवाखाना में सेवा देने के बाद शाम के वक्त दोस्त-परिवार वालों के साथ गुजारना पसंद करते हैं। ऐसे ही रविवार की एक शाम आयुष्मान नर्सिंग होम में के वार्ड ब्वॉय और नर्स टीवी पर रविवार की फिल्म देखकर टाइम पास कर रहे थे। फिल्म के बीच में आने वाले विज्ञापनों से वार्ड ब्वॉय की फिल्म देखने की निरंतरता टूटती तो खिन्न होकर वह टिप्पणी भी करता। वार्ड ब्वॉय और नर्स के साथ-साथ भर्ती मरीजों के रिश्ते नाते वाले भी मजबूरी और बेबसी के चलते फिल्म देखने की कोशिश कर रहे थे। नर्सिंग होम के सामने एक आटो रिक्शे के रुकने की आवाज आई। वार्ड ब्वॉय ने कांच से बाहर देखा। आटो रिक्शे वाले को पैसे देने के बाद एक व्यक्ति, अचेत महिला को गोद में उठाकर नर्सिंग होम में दाखिल हुआ....। वृद्ध महिला को बेंच पर लेटाते हुए पूछा, "डॉक्टर साहब है?''
''आज संडे है। डॉक्टर साहब नहीं आते हैं। वार्ड ब्वॉय ने बताया।''
''मैं गिरीश वर्मा, मैं डॉक्टर का रिश्तेदार हूँ।''
''डॉक्टर साहब के सारे मरीज तो रिश्तेदार ही होते हैं। रिश्तेदारों को मैं जानता हूं। आठ साल से काम कर रहा हूँ, आपको तो कभी नहीं देखा?'' वार्ड ब्वॉय ने अपना अनुभव बताया।
''हम उनके दूर के रिश्तेदार हैं।'' व्यक्ति ने गलती सुधारते हुए कहा,''देखिए यह मेरी मां है। बूढ़ी है, बाथरूम में गिर गई फिर होश नहीं आया। रुक-रुक कर सांस ले रही थी अब अचेत है। छः माह पहले लकवा पड़ा था। जल्दी से डॉक्टर साहब को बुला दे।''
''देखिए मरीज की ऐसी हालत को देखते हुए डॉक्टर का इंतजार करने से बेहतर भर्ती कराना होगा।'' नर्स ने सलाह दी,''यहां डॉक्टर साहब के असिस्टेंट है। कहे तो भर्ती कर दूं?''
''मैं अकेले निर्णय नहीं ले सकता, मेरे तीन और भाई हैं, उनके आए बिना मैं क्या करूं?'' गिरीश ने असमर्थता जाहिर की।
''ठीक है, जैसा आप उचित समझे। लेकिन जल्दी कीजिए, मरीज को कुछ भी हो सकता है, वैसे भी मां जी की हालत गंभीर दिख रही है।''
नर्सिंग होम में एक पुरुष और एक महिला दाखिल हुए।
''क्यूं रे गिरीश, क्या हुआ मां को?'' आगंतुक ने पूछा।
'' रमेश भैया, मां बाथरूम में गिरकर बेहोश हो गई। हाथ-पांव ठंडे पड़ने लगे। आटो रिक्शे में लेकर यहां आया हूं। डॉक्टर है नहीं, ये लोग कहते हैं भर्ती करा दो वर्ना...'' इतना कह गिरीश रो पड़ा।
''भर्ती कराने में क्या दिक्कत है?'' रमेश ने पूछा।
''क्यों भाई साहब मां को भर्ती क्यों नहीं कर लेते?'' रमेश ने वार्ड ब्वॉय से पूछा।
''दो हजार जमा कर दीजिए। मरीज भर्ती कर लेंगे।'' वार्ड ब्वॉय ने टीवी पर निगाहें हटाए बिना जवाब दिया।
''भाई डॉक्टर साहब हमारे पहचान के हैं।''
''पैसे जमा कराने का नियम भी उन्हीं का है। देखिए, आप पैसे जमा कर दे ताकि मरीज को दवा-दारू मिल सके।''
''क्यों रे गिरीश पैसे क्यों नहीं जमा किया?'' रमेश ने पैसे पर जोर देते हुए कहा।
''रमेश भैया चार महीने से मां मेरे यहां है। उनकी देखभाल और दवा-दारू का खर्च मैं ही उठा रहा हूं। नगर निगम के मोहर्रिर को मिलता ही कितना है। हम चारों भाई ने मिलकर तय किया था कि तीन-तीन महीने मां को अपने पास रखेंगे।"
''शैलजा, मां की देखभाल करो, मैं डॉक्टर को लेकर आ रहा हूं।'' रमेश स्कूटर लेकर नर्सिंग होम से बाहर निकला। एक टेलीफोन बूथ पर रुक कर उसने सबसे बड़े भाई
शिवप्रकाश को फोन लगाया।
''भैया मां बहुत सीरियस है। आयुष्मान नर्सिंग होम में गिरीश उनको लेकर आया है। आप जल्दी पहुंचे। और हां तीन हजार रुपए रख लेंगे, मैं भी कुछ रकम लेकर डॉक्टर साहब को लेते हुए पहुंच रहा हूं।'' इतना कहकर रमेश ने फोन काट दिया।
'' किसका फोन था?'' शिवप्रकाश की पत्नी सविता ने पूछा।
''चलो आयुष्मान नर्सिंग होम, मां भर्ती है, रमेश का फोन था, एक-दो हजार रुपए भी रख लो।''
''पैसे रखना जरूरी है?''सविता ने पूछा।
''बड़ा हूं, फर्ज तो निभाना पड़ेगा।''
''क्या रमेश के पास पैसे नहीं है?'' सविता बोली और वे दोनों नर्सिंग होम के लिए निकल गए।
''क्यों रे गिरीश, भर्ती करने के लिए पैसे नहीं थे तो फोन क्यों नहीं किया?'' शिवप्रकाश ने सिगरेट जलाते हुए पूछा।
''भैया, रमेश भैया को फोन किया था। आपको फोन करेंगे कह रहे थे, इसी कारण फोन नहीं किया।'' ''क्यों तुम फोन कर देते तो क्या होता?''
''भैया, आपके यहां जब भी फोन लगाया, आप नहीं है का जवाब मिला है। भाभी से पूछ लीजिए।"
''खैर, चिंता मत करो। मैं देखता हूं।'' शिवप्रकाश काउंटर पर पहुंचा।
''मैडम मां को भर्ती करना है।''
''ठीक है यह फॉर्म भर दीजिए और दो हजार जमा कर दीजिए।''
''हमें डॉक्टर साहब अच्छे से जानते हैं।''
''सर, मरीज को भर्ती करने से पहले कन्सेंट जरूरी है।'' शिवप्रकाश ने मां का नाम, पिता का नाम और उम्र तत्परता से लिखा। लेकिन पते के कालम पर कलम रुक गई।
''एक्सक्यूज मी मैडम, यह रुपए रखिए। मैं फॉर्म में भर कर देता हूं।''
''सॉरी सर, फॉर्म जरूरी है।मरीज को कुछ हो जाने पर बहुत लफड़ा होता है।''
''अच्छा, गिरीश इधर आ। मां को अभी कहां रहना था रमेश के पास या महेश के पास?'' ''महेश भैया के पास, भैया।'' शिवप्रकाश ने महेश का पता फॉर्म में लिखा और महेश वर्मा के नाम से दस्तखत कर दिया। नर्स ने फॉर्म लेकर मरीज को एडमिट कर जनरल वार्ड के चार नंबर बेड पर भेजने के लिए वार्ड ब्वॉय और नर्स को कहा। स्ट्रेचर लाकर दोनों मां को चार नंबर बेड पर ले गए। असिस्टेंट ने ब्लड-प्रेशर नापा, थर्मामीटर लगाया और फिर ग्लूकोज की बोतल चढ़ा दी। शिवप्रकाश सविता और गिरीश कोने में खड़े थे। रमेश अपनी पत्नी के साथ शिवप्रकाश और सविता के पैर छुए।
'' क्यों रमेश कैसे हो?'' शिवप्रकाश ने पूछा।
''बस भैया, क्या बताऊं धंधे में लगातार घाटा हो रहा है। आपके पैसे नहीं दे पा रहा हूं। आज मेरी लाचारी देखिए, मां को भर्ती के पैसे भी नहीं है मेरे पास।''
''फोन पर तो तुम पैसे लेकर आने की बात कह रहे थे।'' "घबराहट में बोल गया होगा भैया, वर्ना मेरी स्थिति तो गिरीश से गई गिरी है। भैया यह वक्त इन बातों का नहीं है। अभी तो मां की जान बचाना जरूरी है।''
''जान बचाने के लिए तुम्हारे बड़े भैया हैं। उसके बाद कौन देखेगा? महेश को भी बुला लो ताकि वो यह ना कहे कि उसको बताया नहीं गया।'' सविता ने मौन तोड़ा।
''वह जोरू का गुलाम क्या पूछेगा भाभी। मां को रखने की जिम्मेदारी उसकी थी लेकिन ताला लगाकर भाग गए।'' गिरीश ने अपना गुस्सा निकाला।
''देखो हम तीनों यही है। मां की देखभाल करने का नियम चारों ने बनाया था। महेश को बात माननी होगी। सबसे पहले वह गिरीश को एक माह का पैसा दे दे। मां को रखने और दवा-दारू के खर्चे के लिए, मां ठीक होती है तो तीन माह अपने पास रखें।'' शिवप्रकाश ने बड़प्पन झाड़ते हुए कहा।
''यदि नहीं रखेगा तो?" रमेश ने पूछा।
'' कैसे नहीं रखेगा। मां सब की है, जिम्मेदारी भी सबकी है।'' ''बड़े भैया, मेरी कमाई इतनी नहीं है कि मैं तीन माह भी रख सकूं लेकिन सब पैसे की मदद करें तो मैं मां को जिंदगी भर अपने पास रख सकता हूं।'' गिरीश ने सुझाव दिया।
महेश और उसकी पत्नी भी नर्सिंग होम पहुंचे।
''मां कैसी है भैया?'' महेश ने बिना अभिवादन किए पूछा। ''तुम्हें मां से क्या? अपने घर में नहीं रख सकते। ताला लगाकर भाग जाते हो। बड़े आए पूछने वाले।'' गिरीश ने नाराजगी दिखाई।
''मैं तुम जैसे छोटे लोगों के मुंह नहीं लगता। जरूरी काम था तो गया था। एक माह से इसी शहर में हो। मां का ख्याल था तो क्यों नहीं आए लेने।''गिरीश ने सवाल किया।
"मैंने ठेका नहीं ले रखा है। मेरी अपनी परेशानी है, मैं मां को नहीं रख सकता। हां, पैसे की सहायता करना हो तो मैं कर सकता हूं।''
''महेश पैसे का घमंड ठीक नहीं। फिर भी तुम्हारे पास पैसे है तो गिरीश की मां को एक महीने का खर्च और दवा-दारू का खर्च दे दो।''
''कितना खर्च हुआ गिरीश तेरा, बता?"
"भैया यह जगह हिसाब करने की नहीं है, मां को बचाने की है।'' गिरीश रो पड़ा।
नर्सिंग होम में डॉक्टर की कार ने प्रवेश किया। कार पार्क कर डॉक्टर सबके पास रुके, और कहा, '' आज सारा वर्मा परिवार एक साथ! अच्छी बात है।'' डॉक्टर ने जनरल वार्ड में प्रवेश किया। चार नंबर बैड के पास रुककर मरीज की नब्ज टटोली। 'विवेक, टॉर्च लेकर आओ। वार्ड ब्वॉय टॉर्च लेकर पहुंचा। डॉक्टर ने मरीज की आंखें खोली और टॉर्च से रोशनी डाली, कोई प्रतिक्रिया नहीं पाकर पलके बंद की और चादर ओढ़ा दिया। बाहर निकलकर डॉक्टर ने शिवप्रकाश को बुलाया।''सॉरी शिवप्रकाश, मां मर चुकी है। गर्मी के दिन है लाश ज्यादा देर नहीं रखी जा सकती, सवेरे जल्दी अंतिम संस्कार करवा देना वरना दुर्गंध आने लगेगी।''
''जी डॉक्टर साहब।''
''मैं डिस्चार्ज पेपर बना देता हूं। मैडम, शिवप्रकाश जी ने जो पैसे दिए हैं वापस कर दो।"
'' सर एक ग्लूकोज बॉटल लगा था।''
'' कोई बात नहीं। शिवप्रकाश जी पैसे वापस ले लेंगे। घर की बात है ओ-के।''
भारी कदमों के साथ शिवप्रकाश वापस आया।
'' मां हम लोगों को छोड़कर चली गई। डॉक्टर साहब का कहना है गर्मी का मौसम है, अंतिम संस्कार सुबह जल्दी करना है वर्ना दुर्गंध आने लगेगी। मेरे घर में अंतरा और मिनी की पीएमटी की परीक्षा में एक सप्ताह है इसलिए अंतिम संस्कार और सब कार्यक्रम तुम तीनों में से किसी एक के यहां कराना ठीक रहेगा।'' '' मेरी तो आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। आपका पैसा लौटा नहीं पा रहा हूं।'' रमेश ने हाथ खड़े कर दिए।'' मैं भी पंद्रह दिन का समय नहीं दे पाऊंगा, हां पैसे की मदद कर सकता हूं।'' महेश ने अपना पल्ला झाड़ा।'
''बस भैया बहुत सुन लिया बाबूजी के गुजर जाने के बाद मां ने हम लोगों को भूखे रहकर पाला। आज मर गई है तो जगह नहीं है! मैं ले जाऊंगा मां को। मैं करूंगा सब काम। हां आप लोगों के पास वक्त होगा तो आ जाना। वरना लोग कहेंगे चार बेटे अर्थी को कंधा भी एक साथ नहीं दे सके।'' कहते-कहते गिरीश फफक पड़ा।
***
|
|
|
|
|
अपनी कवितायेँ /गजल
पत्नी प्रशंसा दिन (Wife appreciation day)
सितम्बर 15
"पत्नी "
|
|
|
|
|
|
द्वारा - डॉ. कमल किशोर सिंह
|
डॉ. कमल किशोर सिंह पेशे से पेडिएट्रिक्स हैं। इनकी शिक्षा-बगेन हाई स्कूल, पटना साईंस कौलेज और पटना मेडिकल कौलेज में हुई। इनके शौक हिन्दी ,भोजपुरी और अंग्रेजी में कविता लिखना और पढ़ना है।
|
|
|
|
|
पत्नी
पता नहीं क्या कहूँ तुझे मैं
क्या क्या मुझको लगती हो.
साथ रहो तो शक्ति मेरी
दूर रहो तो भक्ति हो
मेरे जीवन की केन्द्र बिन्दु तुम
पर कभी परिधि बनती हो.
गर्मी की एक शीतल छाया,
तो जाड़े की धूप सी लगती हो.
सावन की एक सुखद सुरक्षा,
तो फागुन की मद मस्ती हो.
तुम निशा की नींद निराली,
तो प्रात: की स्फूर्ति हो,
या नित दिन नयी उमंग जगाती,
एक अनुपम अनुभूति हो.
घर में संचित सम्पत्ति जैसी,
बाहर लह लह खेती हो
बाहर की सब चमक दमक तुम
भीतर जगमग ज्योति हो.
ब्यथा ब्याधि जो भी जीवन में,
उनकी अन्तिम औषधि हो,
क्षुधा प्यास सब तुम्हीं हमारी,
तुम ही उनकी तृप्ति हो.
पता नहीं क्या कहूँ तुझे मैं
क्या क्या मुझको लगती हो.
***
|
|
|
अपनी कवितायेँ /गजल
"पत्नी प्रशंसा दिन (Wife appreciation day)"
सितम्बर 15
|
|
|
|
|
|
द्वारा : डॉ. सुरेंद्र नेवटिया
|
डॉ. सुरेंद्र नेवटिया, न्यू यॉर्क से हैं| ये पेशे से मेडिकल डॉक्टर है। ३ दशक पूर्व भारत से आये थे। सेवा निवृत होने के बाद पुनः कलम उठाई है और अपनी भावनाओं को अपनी भाषा में कागज पर लिपि बद्ध किया है। अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति के आजीवन सदस्य हैं।
|
|
|
|
|
पत्नी प्रशंसा दिवस (Wife Appreciation Day), सितंबर १५
सुना बहुत था बारे में उनके,
परंतु मिल पाये थे हम कुछ ही पलों के लिए,
वो चंद क्षण कैसे ज़िंदगी बन जाएँगे सोचा नहीं था हमने।
पला था मैं भारत में और वो भारत,
इंग्लैंड और अमेरिका में,
दो दिल और दिमाग़ कैसे मिल जाएँगे सोचा नहीं था हमने।
शादी बाद…
ध्यान दिया मैंने सिर्फ़ अपने कार्य में,
परंतु वो त्वरित रही हर काम में,
जीवन पूरा बिता दिया
घर, धर्म, काम, रिश्तों और ज्ञान में।
श्रेय कभी चाहा नहीं दायित्व अपना निभाती रही,
दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती, पार्वती के रूप में।
बच्चो और परिवार को चाहा अपनी हर साँस में,
प्यार सम्मान बाटती रही दिन हो या रात में।
स्मृति रहती है उनकी बेमिसाल और बुद्धिमानी है नहीं किसी से कम,
दूसरी ज़िंदगी में इन्हें पाने के लिए, करना होगा बहुत जतन।
***
|
|
|
|
|
अपनी कवितायेँ /गजल
"सूर्य पुत्र"
|
|
|
|
|
|
द्वारा : श्री गिरेन्द्र सिंह भदौरिया
|
श्री गिरेन्द्र सिंह भदौरिया "प्राण" का जन्म इटावा जिले के एक ग्राम में एक साधारण परिवार में हुआ। आपने हिन्दी, अँग्रेजी व संस्कृत तीनों में एम.ए. की डिग्री प्राप्त की। इन्दौर में 37वर्षों तक शिक्षक रह कर 2019 में सेवा निवृत्त हुए हैं। आपकी रचनाओं में भाषा का सरस प्रवाह एवं काव्य के तत्त्वों के साथ काव्य सौन्दर्य के दर्शन होते हैं। हिन्दी के उत्थान में आपकी सेवा निरन्तर चल रही है।
|
|
|
|
|
सूर्य पुत्र
सो रहे हो सूर्य के बेटो! उठो आलस्य त्यागो।
रात के तमतोम की काली नजर दिनमान पर है ।।
एक भी तारा न तो नभ में दिखाई दे रहा है।
जुगनुओं की भीड़ गुम है चाँद भी अवसान पर है।।
बुझ रहे अंगार सारे दृष्टि घबराने लगी है।
दीप की बाती तलक हो राख चुँधियाने लगी है।।
लुप्त हैं चिनगारियाँ आलोक नश्वर हो रहा है,
भोर से पहले समय की बुद्धि चकराने लगी है।।
मेघमालाएँ छटाओं को निगलतीं आ रहीं हैं।
घोर काली घन घटाओं में बदलतीं आ रहीं हैं।।
सूर्य की किरणें धरा पर किस तरह उतरें गगन से,
बदलियाँ उलझी जटाओं सी उछलतीं आ रहीं हैं।।
शाम तक मैं सोचता था तुम गहन आक्रोश में हो।
घोर संकट की घड़ी के सामने तुम होश में हो।
किन्तु यह क्या कर रहे हो बिस्तरों पर बोझ बनकर,
जागरण के काल में तुम नींद की आगोश में हो।।
रात की यदि वेदना पर रवि तरस खा जायेगा तब।
तो अंधेरा शुभ्रता को भी सरस खा जायेगा तब।
इसलिए जागो मरण से मुक्त पथ यदि चाहते हो,
क्या करोगे जब जमाने को तमस खा जायेगा तब।।
इसलिए उट्ठो सँभालो स्नेह डालो दीप बालो।
ज्योति को जी भर जलाओ तमस को बाहर निकालो।
ज्ञान के आलोक से तुम जगमगा दो धरा जग की,
और उजियारों की वाहक मन मशालों को जला लो।।
बादलों को फोड़ती वह लालिमा सी छा रही है।
एक चिड़िया घोंसले से यह प्रभाती गा रही है।।
जाग बेटे जाग पूरी रात तो हमने बिता दी,
बस तनिक सी देर है रवि की सवारी आ रही है।।
***
|
|
|
|
|
अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी समिति - इंडियाना शाखा द्वारा
डॉ. महेश पी. गुप्ता और डॉ. अनीता गुप्ता
को
"हिन्दी शिक्षा सृजन सम्मान"
द्वारा :डॉ. राकेश कुमार
|
|
|
|
|
अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी समिति - इंडियाना शाखा की तरफ से डॉ. महेश पी. गुप्ता और डॉ. अनीता गुप्ता को अपना प्रतिष्ठित "हिन्दी शिक्षा सृजन सम्मान" पुरस्कार देने की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है। यह सम्मानित सम्मान अगली पीढ़ी को आरम्भिक से उच्च स्तर तक हिन्दी सिखाने में उनके असाधारण योगदान और निस्वार्थ समर्पण को मान्यता देता है। हिन्दी शिक्षा की उन्नति के प्रति उनकी प्रतिबद्धता सचमुच सराहनीय है।
2002 से, डॉ. महेश और डॉ. अनीता गुप्ता समर्पित शिक्षक रहे हैं, जो कार्मेल लाइब्रेरी और सेंट्रल इंडियाना के हिंदू मंदिर में अपने शिक्षण के माध्यम से हिंदी भाषा के लिए अपना ज्ञान बहुत उत्साह से प्रदान कर रहे हैं। अपने कठिन पेशेवर जीवन और दैनिक जिम्मेदारियों के बावजूद, अपने विद्यार्थियों में हिन्दी के प्रति प्रेम पैदा करने के प्रति उनका समर्पण दृढ़ है।
14 सितंबर, 2024 को 75वें हिंदी दिवस समारोह के दौरान डॉ. महेश और डॉ. अनीता गुप्ता को "हिंदी शिक्षा सृजन सम्मान" प्रदान किया जाएगा। यह कार्यक्रम अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी समिति इंडियाना द्वारा आयोजित किया गया है, और यह एक महत्वपूर्ण अवसर होगा उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों का सम्मान करने के लिए।
हम डॉ. महेश गुप्ता और डॉ. अनिल गुप्ता को इस सुयोग्य सम्मान के लिए बधाई देते हैं और इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में हिन्दी शिक्षा में उनके योगदान का उत्सव मनाने के लिए उत्सुक हैं।
शिक्षक दिवस की हार्दिक बधाई !
𝐓𝐡𝐞 𝐈𝐧𝐭𝐞𝐫𝐧𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧𝐚𝐥 𝐇𝐢𝐧𝐝𝐢 𝐀𝐬𝐬𝐨𝐜𝐢𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧 - 𝐈𝐧𝐝𝐢𝐚𝐧𝐚 𝐇𝐨𝐧𝐨𝐫𝐬 𝐃𝐫. 𝐌𝐚𝐡𝐞𝐬𝐡 𝐏. 𝐆𝐮𝐩𝐭𝐚 𝐚𝐧𝐝 𝐃𝐫. 𝐀𝐧𝐢𝐭𝐚 𝐆𝐮𝐩𝐭𝐚 𝐰𝐢𝐭𝐡 "𝐇𝐢𝐧𝐝𝐢 𝐒𝐡𝐢𝐤𝐬𝐡𝐚 𝐒𝐫𝐢𝐣𝐚𝐧 𝐒𝐚𝐦𝐦𝐚𝐧".
अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी समिति-इंडियाना द्वारा डॉ. महेश पी. गुप्ता और डॉ. अनीता गुप्ता को "हिन्दी शिक्षा सृजन सम्मान"
The International Hindi Association - Indiana is delighted to announce its prestigious "𝐇𝐢𝐧𝐝𝐢 𝐒𝐡𝐢𝐤𝐬𝐡𝐚 𝐒𝐫𝐢𝐣𝐚𝐧 𝐒𝐚𝐦𝐦𝐚𝐧" award to Dr. Mahesh P. Gupta and Dr. Anita Gupta. This esteemed honor recognizes their extraordinary contributions and selfless dedication to teaching Hindi, from basic to advanced levels, to the next generation. Their commitment to the advancement of Hindi education is truly commendable.
Since 2002, Dr. Mahesh and Dr. Anita Gupta have been dedicated educators, imparting their knowledge and passion for the Hindi language through their teaching at the Carmel Library and the Hindu Temple of Central Indiana. Despite their demanding professional lives and daily responsibilities, their dedication to nurturing a love for Hindi among their students remains steadfast.
The "Hindi Shiksha Srijan Samman" will be presented to Dr. Mahesh and Dr. Anita Gupta during the 75th Hindi Diwas celebration on September 14, 2024. The event is organized by the International Hindi Association-Indiana, and it will be a momentous occasion to honor their remarkable achievements.
We congratulate Dr. Mahesh Gupta and Dr. Anil Gupta on this well-deserved recognition and look forward to celebrating their contributions to Hindi education at this landmark event.
Happy Teachers' Day! We respect and admire your dedication.
***
|
|
|
|
|
अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी समिति की तरफ से श्रद्धांजलि
"9/11 की घटना को याद करने और श्रद्धांजलि"
9/11 मेमोरियल पार्क में
सितम्बर 11, 2024
द्वारा :डॉ. शैल जैन, मेडिना सनराइज रोटरी की पूर्व अध्यक्षा
|
|
|
|
|
मेडिना, ओहायो में 9/11 की घटना को याद करने और श्रद्धांजलि के लिए एकत्रित
बुधवार सुबह मेडिना 9/11 मेमोरियल पार्क में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रथम प्रतिक्रियाकर्ता (फर्स्ट रिस्पॉन्डर्स), पायलट, फ्लाइट अटेंडेंट, शहर के अधिकारी, मेडिना सनराइज रोटरी के सदस्योँ के साथ डॉ. शैल जैन और समुदाय के अन्य लोग शामिल हुए। इस अवसर पर, 23 साल पहले खोए गए निर्दोष जीवनों को याद किया गया और उनके बलिदान को सम्मानित किया गया।
9/11 की घटना को बीते 20 साल से अधिक समय हो चुका है, लेकिन उसकी यादें और सबक आज भी हमारे मन में ताजा हैं। 11 सितंबर, 2001 को हुआ यह हमला न केवल अमेरिका, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। उस दिन हमने देखा कि कैसे आतंकवाद ने निर्दोष लोगों की जान ली और हमारे समाज की सुरक्षा पर सवाल खड़े किए।
इस घटना ने हमें सिखाया कि आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होना कितना आवश्यक है। इस संकट के समय में हमने देखा कि कैसे बहादुर फायरफाइटर, पुलिस अधिकारी, और आम नागरिक बिना किसी भय के दूसरों की मदद के लिए आगे आए। उनके साहस ने हमें यह सिखाया कि मानवता की शक्ति सबसे बड़ी होती है।
यह घटना हमें यह भी याद दिलाती है कि आपसी भाईचारे, सहिष्णुता और शांति का महत्व कितना है। विभाजन और घृणा के बजाय, हमें एक ऐसा समाज बनाना चाहिए जो आपसी समझ और प्रेम पर आधारित हो। 9/11 ने यह साबित कर दिया कि किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए एकता और साहस की आवश्यकता होती है, और यही हमारे लिए सबसे बड़ा सबक है।
हमारे लिए यह समय है कि हम उन सभी को याद करें जिन्होंने अपनी जान गंवाई और यह संकल्प लें कि हम भविष्य में शांति और सुरक्षा के लिए काम करते रहेंगे।
From -The Gazette News --
Medina, Ohio people gathered to remember 9/11 event and honor people who lost their lives.
First responders, pilots, flight attendants, city officials, Medina Sunrise Rotary members and community members gathered at Medina 9/11 Memorial Park on Wednesday morning to remember the lives lost 23 years ago.
It has been more than 20 years since the tragic 9/11 event, yet the memories and lessons from that day remain fresh in our hearts. The attacks on September 11, 2001, marked a significant turning point not only for America but for the entire world. On that day, we witnessed how terrorism claimed the lives of innocent people and raised deep concerns about the security of our society.
This event taught us the importance of standing united against terrorism. In the midst of this crisis, we saw brave firefighters, police officers, and ordinary citizens step forward to help others without fear. Their courage reminded us that the strength of humanity is the greatest force of all. The tragedy also serves as a reminder of the value of brotherhood, tolerance, and peace. Instead of division and hatred, we must strive to create a society based on mutual understanding and compassion.
9/11 demonstrated that unity and courage are essential to facing any challenge, and that is the most profound lesson for us. Now is the time for us to remember all those who lost their lives and to commit ourselves to working for peace and security in the future.
***
|
|
|
|
|
पाठकों की अपनी हिंदी में लिखी कहानियाँ, लेख, कवितायें इत्यादि का
ई -संवाद पत्रिका में प्रकाशन के लिये स्वागत है।
|
|
|
|
|
"प्रविष्टियाँ भेजने वाले रचनाकारों के लिए दिशा-निर्देश"
1.रचनाओं में एक पक्षीय, कट्टरतावादी, अवैज्ञानिक, सांप्रदायिक, रंग- नस्लभेदी, अतार्किक
अन्धविश्वासी, अफवाही और प्रचारात्मक सामग्री से परहेज करें। सर्वसमावेशी और वैश्विक
मानवीय दृष्टि अपनाएँ।
2.रचना एरियल यूनीकोड MS या मंगल फॉण्टमें भेजें।
3.अपने बायोडाटा को word और pdf document में भेजें। अपने बायो डेटा में डाक का पता, ईमेल, फोन नंबर ज़रूर भेजें। हाँ, ये सूचनायें हमारी जानकारी के लिए ये आवश्यक हैं। ये समाचार पत्रिका में नहीं छापी जायेगी।
4.अपनी पासपोर्ट साइज़ तस्वीर अलग स्पष्ट पृष्ठभूमि में भेजें।
5.हम केवल उन रचनाओं को प्रकाशित करने की प्रक्रिया करते हैं जो केवल अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति को भेजी जाती हैं। रचना के साथ अप्रकाशित और मौलिक होने का प्रमाणपत्र भी संलग्न करें।
E-mail to: shailj53@hotmail.com
or: president@hindi.org
contact
330-421-7528
***
|
|
|
|
|
अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति
हिंदी लेखन के लिए स्वयंसेवकों की आवश्यकता
|
|
|
|
|
अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति के विभिन्न प्रकाशनों के लिए हम हिंदी (और अंग्रेजी दोनों) में लेखन सेवाओं के लिए समर्पित स्वयंसेवकों की तलाश कर रहे हैं जो आकर्षक और सूचनात्मक लेख, कार्यक्रम सारांश और प्रचार सामग्री आदि तैयार करने में हमारी मदद कर सकें।
यह आपके लेखन कौशल को प्रदर्शित करने, हमारी समृद्ध संस्कृति को दर्शाने और हिंदी साहित्य के प्रति जुनून रखने वाले समान विचारधारा वाले व्यक्तियों से जुड़ने का एक अच्छा अवसर है। यदि आपको लेखन का शौक है और आप इस उद्देश्य के लिए अपना समय और प्रतिभा योगदान करने में रुचि रखते हैं, तो कृपया हमसे alok.iha@gmail.com पर ईमेल द्वारा संपर्क करें। साथ मिलकर, हम अपनी सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा देने और संरक्षित करने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।
प्रबंध सम्पादक: श्री आलोक मिश्र
alok.iha@gmail.com
***
|
|
|
|
|
“संवाद” की कार्यकारिणी समिति
|
|
|
|
|
प्रबंद्ध संपादक – श्री आलोक मिश्र, NH, alok.iha@gmail.com
संपादक -- डॉ. शैल जैन, OH, shailj53@hotmail.com
सहसंपादक – अलका खंडेलवाल, OH, alkakhandelwal62@gmail.com
डिज़ाइनर – डॉ. शैल जैन, OH, shailj53@hotmail.com
तकनीकी सलाहकार – मनीष जैन, OH, maniff@gmail.com
|
|
|
रचनाओं में व्यक्त विचार लेखकों के अपने हैं। उनका अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति की रीति - नीति से कोई संबंध नहीं है।
|
|
|
|
![](https://creative-assets.mailinblue.com/editor/social-icons/squared_colored/facebook_32px.png) |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
This email was sent to {{ contact.EMAIL }}You received this email because you are registered with International Hindi Association
mail@hindi.org | www.hindi.org
Management Team
|
|
|
|
|
|
|
© 2020 International Hindi Association
|
|
|
|
|